श्रीचंद मुरुगन मंदिर

तमिलनाडु के मनोरम स्थल कन्याकुमारी से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित श्रीचंद मुरुगन मंदिर, भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण और विकास त्रावणकोर के राजवंश के समय हुआ, जिन्होंने इसे अपनी राजशाही का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। 17वीं शताब्दी में, इस मंदिर की अमिट ख्याति और वैभव ने डच आक्रमणकारियों का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने इसे अपनी लालची नजरों से नहीं बचा पाया। उन्होंने मंदिर पर धावा बोल दिया और इसके अनमोल खजाने को लूट लिया। इस खजाने में सबसे मूल्यवान थी भगवान कार्तिकेय की पंचलोह से निर्मित मूर्ति, जिसे उन्होंने बड़ी बेदर्दी से उठाया। इस मूर्ति की दिव्यता और शक्ति के बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं, जो इसके धार्मिक महत्त्व को और भी बढ़ाती हैं।

डच डाकुओं का भयावह अनुभव

श्रीचंद मुरुगन मंदिर

जब डच डाकू चुराई गई मूर्ति को लेकर समुद्र के मध्य भाग में पहुंचे, तब प्रकृति ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू किया। आसमान में घने काले बादल छा गए और एक भयावह तूफान ने उन्हें घेर लिया। इस तूफान के साथ ही तेज बारिश भी होने लगी, जिससे समुद्र की लहरें उग्र हो उठीं। इस आपदा के सामने आने से नाविकों के दिल में खौफ भर गया। उनमें से एक ने आशंका जताई कि यह सब चुराई गई मूर्ति के क्रोध के कारण हो रहा है। उन्होंने महसूस किया कि वे देवता की शक्ति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस डरावने माहौल में, जहाज के कप्तान ने निर्णय लिया कि उन्हें मूर्ति को समुद्र में वापस छोड़ देना चाहिए। उन्होंने सोचा कि इससे शायद उनकी जान बच सकती है। जैसे ही उन्होंने मूर्ति को पानी में विसर्जित किया, चमत्कारिक रूप से तूफान और बारिश शांत हो गई।

एक अनोखे चमत्कार की कहानी

श्रीचंद मुरुगन मंदिर

जिस रात भगवान श्री चंद्र मुरुगन ने अपने एक अनन्य भक्त को सपने में दर्शन दिए, वह एक असाधारण घटना थी। भक्त ने सपने में देखा कि भगवान ने उन्हें समुद्र के भीतर छिपी हुई अपनी दिव्य मूर्ति का स्थान बताया। उन्होंने कहा कि समुद्र की सतह पर एक नींबू तैरता हुआ दिखाई देगा और उसके नीचे उनकी मूर्ति स्थित होगी। भक्त ने इस दिव्य संकेत को अपने दिल में बसा लिया और अगली सुबह ही उसने गांववालों को इस अनोखी खोज के बारे में बताया।

गांववाले भी उत्साहित हो गए और उन्होंने मिलकर समुद्र में गोता लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने समुद्र की गहराइयों में जाकर उस नींबू की तलाश की। अंततः, उन्हें वह नींबू तैरता हुआ दिखाई दिया, और उसके ठीक नीचे भगवान की मूर्ति थी। इस अद्भुत घटना ने सभी का दिल जीत लिया और उनके आस्था को और भी मजबूत कर दिया। उस मूर्ति को सावधानीपूर्वक उठाकर वापस मंदिर में लाया गया और फिर से उसकी पूजा-अर्चना शुरू हुई। इस पुनर्निर्माण के साथ ही मंदिर ने एक बार फिर अपनी दिव्यता और महत्व को पुनः प्राप्त किया। आज भी यह मंदिर अपने इस चमत्कारिक इतिहास के लिए जाना जाता है और लोग इसे भगवान कार्तिकेय की कृपा का प्रतीक मानते हैं।

सुनामी की त्रासदी से अद्भुत बचाव

श्रीचंद मुरुगन मंदिर

वर्ष 2004 में जब इस क्षेत्र में एक विनाशकारी सुनामी आई, तो यह चमत्कार हुआ कि मंदिर के निकट पहुंचते ही सुनामी की लहरें अचानक दो किलोमीटर दूर चली गईं। इस अद्भुत घटना ने न केवल मंदिर की रक्षा की, बल्कि आसपास के क्षेत्र को भी संकट से बचा लिया, जिससे यहाँ के निवासियों में भगवान कार्तिकेय के प्रति श्रद्धा और विश्वास अत्यधिक बढ़ गया। लोगों का मानना है कि यह दिव्य शक्ति ही थी जिसने उन्हें इस भयानक त्रासदी से बचाया। इस चमत्कार के प्रत्यक्षदर्शी और साक्षात्कार करने वाले भक्तों ने ‘जय कार्तिकेय भगवान’ के जयकारे लगाए, और इस घटना को देवीय शक्ति का प्रमाण माना। आज भी इस दिव्य चमत्कार का स्मरण करते हुए लोग इस मंदिर में आकर अपनी श्रद्धा और आस्था प्रकट करते हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करते हैं।

 

श्रीचंद मुरुगन मंदिर से संबंधित प्रश्नोत्तरी

प्रश्न: श्रीचंद मुरुगन मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 75 किलोमीटर दूर।

प्रश्न: इस मंदिर को किस भगवान को समर्पित किया गया है?
उत्तर: भगवान कार्तिकेय को।

प्रश्न: श्रीचंद मुरुगन मंदिर का निर्माण किस शताब्दी में हुआ था?
उत्तर: 17वीं शताब्दी में।

प्रश्न: मंदिर पर किस देश के आक्रांताओं ने हमला किया था?
उत्तर: डच आक्रांताओं ने।

प्रश्न: समुद्र में मंदिर की मूर्ति किस कारण वापस छोड़ी गई थी?
उत्तर: एक भयानक तूफान के कारण।

प्रश्न: मूर्ति की पुनः प्राप्ति कैसे हुई थी?
उत्तर: भगवान श्रीचंद मुरुगन ने एक भक्त को सपने में मूर्ति का स्थान बताया था।

प्रश्न: मंदिर के पास आने वाली सुनामी का क्या असर हुआ था?
उत्तर: सुनामी की लहरें मंदिर के निकट पहुंचकर दो किलोमीटर दूर चली गई थीं।

प्रश्न: भगवान कार्तिकेय की मूर्ति किस धातु से बनी है?
उत्तर: पंचलोह (पांच धातुओं का मिश्रण) से।

प्रश्न: मंदिर के पास आई सुनामी का क्या चमत्कार हुआ था?
उत्तर: मंदिर के पास आते ही सुनामी शांत हो गई।

प्रश्न: भगवान श्रीचंद मुरुगन ने मूर्ति की स्थिति कैसे बताई थी?
उत्तर: उन्होंने कहा था कि समुद्र में तैरते हुए नींबू के नीचे मूर्ति है।

प्रश्न: मंदिर का पुनर्निर्माण कैसे हुआ था?
उत्तर: मूर्ति की पुनः प्राप्ति के बाद मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था।

प्रश्न: मंदिर की खोज किसने की थी?
उत्तर: मंदिर की खोज भगवान कार्तिकेय के एक भक्त ने की थी।

प्रश्न: मंदिर के पास आई सुनामी कब आई थी?
उत्तर: वर्ष 2004 में।

प्रश्न: मंदिर पर हमला कब हुआ था?
उत्तर: 17वीं शताब्दी में।

प्रश्न: मंदिर की मूर्ति का क्या महत्व है?
उत्तर: यह मूर्ति भगवान कार्तिकेय की प्रतिष्ठित और दिव्य मूर्ति है, जिसके प्रति भक्तों की अटूट आस्था है।

 

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